जैसा कि हम जानते हैं भारत एक ऐसा देश है यहां कदम कदम पर विविधताएँ भरी पड़ी है ।यहां के लिए कहावत भी है कि ( कोस – कोस पर पानी बदले और चार कोस पर वाणी ) |अर्थात यहां पर एक एक कोस की दूरी पर पानी का स्वाद तक बदल जाता है ।और लगभग 4 कोस के अंतराल पर बोली भाषाएं भी अलग मिलती है ।यहां वस्त्रों से लेकर खानपान तक की चीजें अनेकों प्रकार की है ।तो फिर ऐसे विविधता भरे देश में जहां अलग-अलग पार्टी के अलग-अलग चिन्ह अलग-अलग नाम अलग विचारधाराएं एवं सब कुछ अलग है |तो फिर आखिर इन पार्टियों के नेता व नेत्रियों की वेशभूषा पर यदि आपने ध्यान दिया हो तो आपको पता होना चाहिए |किए सभी सफेद पोशाक में ही अधिकतर नजर आते हैं ।आखिर ऐसा क्यों अनेकों विकल्प होने के बावजूद यह सब है सफेद कुर्ता तथा महिलाएं सफेद साड़ी व सूट यह क्यों धारण करती हैं |आखिर यह परंपरा कहां से चली और क्या है इसके पीछे की वजह आज के हमारे इस आर्टिकल में हम इसी के ऊपर चर्चा करेंगे और इसके सही कारण को जानेंगे ।तो आइए जानते हैं भारतीय नेताओं की सफेद पोशाक का रहस्य |
सफेद रंग का क्या है महत्व | Importance of White Colour
सफेद रंग शांति का प्रतीक है इसके साथ ही इसे पवित्रता का भी प्रतीक माना जाता है |इसके साथ ही सनातन धर्म में विद्या की देवी माता सरस्वती सफेद साड़ी धारण करती हैं ।जिसके कारण ज्ञान के लिहाज से भी इस रंग का महत्व बढ़ जाता है ।और खासकर विद्यार्थियों के लिए इस रंग का अपना ही एक महत्व है ।क्योंकि ज्ञान की देवी केवस्त्र का भी रंग सफेद होने से यह ज्ञान का प्रतीक है ।और विद्यार्थियों का जीवन ज्ञान की प्राप्ति के लिए ही होता है ।इसके अलावा क्योंकि विद्यार्थी अपनी शिक्षा ठीक से ग्रहण कर सकें ।इसके लिए आवश्यक है कि उनका मन चंचलता से हटकर शांत होना चाहिए ।और सफेद रंगमन को शांत रखता है इसलिए भी इसे विद्यार्थियों के स्कूल ड्रेस के रंग के रूप में अधिक महत्वपूर्ण माना गया है |इसी प्रकार नेताओं का भी कार्य है कि वह समाज की कमियों को पूर्ण करें और सभी की भावनाओं का ख्याल रखते हुए न्याय संगत कार्य करें ।अतः यह तो तभी संभव है जब उनका मन शांत हो ।
कहां से और कब से चली सफेद कपड़े पहनने की परंपरा | Wear White Clothes Facts in Hindi
यह बात तब की है जब अनेकों अनेक क्रांतिकारी अपने-अपने ढंग से स्वतंत्रता आंदोलन चला रहे थे ।गांधीजी भी अहिंसात्मक ढंग से अपने विवेकानुसार वे भी कई सारे आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे थे ।जिनमें से उन्हीं के द्वारा चलाया गया स्वदेशी आंदोलन उस वक्त काफी प्रचलित हो रहा था ।जिसमें लोगों ने देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर विदेशी वस्त्रों सामग्रियों खिलौनों इत्यादि का बहिष्कार किया था ।और अपने देश में अपने देशवासी कारीगरों द्वारा बनाई गई चीजों को स्वीकार किया था ।उस वक्त गांधी जी ने स्वयं चरखा चलाकर तथा चरखा से ही बने खादी वस्त्रों को धारण कर सभी को खादी पहनने के लिए प्रेरित किया ।तभी से लोग अपने देश में बनने वाले खादी वस्त्र जोकि चरखे से सूत निकालकर बून कर बनाए जाते थे ।उसे धारण करने लगे उसके बाद समय के साथ देश को आजादी भी प्राप्त हुई और तरक्की भी और अब देश में ही विभिन्न प्रकार के वस्त्र बनने लगे हैं सभी रंगों में उपलब्ध होने लगे हैं ।लेकिन फिर भी उस कठिनाई के दौर में जिस खादी ने देश का साथ दिया उसका अपना ही एक महत्व है | और अब वही सफेद सुती कपड़े स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है ।यही कारण है कि आज भी राजनीतिक दलों के नेतागण सफेद वस्त्र पहनते हैं ।
क्यों पहनते हैं नेता व नेत्रिया कुर्ता पजामा ,धोती कुर्ता, सलवार सूट या फिर साड़ी :-
नेताओं व नेत्रियों के के वस्त्रों कुछ सफेद देखने के साथ-साथ आपने हमें ध्यान दिया होगा ।कि वे सिर्फ कुर्ता पजामा या धोती कुर्ता तथा महिला नेत्रिया चुटिया साड़ी ही पहनते हैं ।आखिर ऐसा क्यों वह सफेद रंग के और कोई वस्त्र भी तो धारण कर सकते हैं ।किंतु नहीं क्योंकि धोती कुर्ता,कुर्ता पजामा,तथा सूट व साड़ी भारतीय पारंपरिक वस्त्र है ।जोकि काफी समय से हमारे देश की पहचान रहे हैं | ऐसे में स्वदेशी आत्मनिर्भरताके प्रतीक सफेद वस्त्रों को धारण करने के साथ भारत की पुरानी संस्कृति व परंपरा से जुड़े वस्त्र साड़ी कुर्ता आदि पहने हुए देखते हैं यह नेता व नेत्रियां |इसके साथ ही बड़े ही सौहार्दपूर्ण ढंग से याचना युक्त है यह सफेद रंग |इसे धारण किए हुए लोगों में एक अलग ही सादगी दिखाई पड़ती है ।और इस रंग में कोई भी व्यक्ति औरों से खास या कम नहीं दिखता बल्कि इसे पहन कर लोग समानता का आभास करते हैं |इसके साथ ही यह नेतृत्व क्षमता का भी आभास कराता है ।यही कारण है कि ज्यादातर नेता व समाज सेवी गण सफेद वस्त्र धारण करते हैं lयह बात अलग है कि चाहे कितनी भी शांति, ईमानदारी के प्रतीक धारण किए जाएं किंतु इमानदारी और शांति तथा सत्यता को अपने जीवन में और हृदय में धारण करना उतना ही कठिन है ।और फिर इस बात से तो सभी परिचित हैं की और सफेद वस्त्र धारण करने वाले कितने ईमानदार,सत्यप्रेमीतथा शांति के अनुयाई हैं ।
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