गरीब एक ऐसी दर्दनाक स्थिति है हमारे समाज में बहुत से लोगों की ऐसी स्थिति है. जहां मनुष्य हर चीज के लिए लाचार और बेबस होता है और तीन चीजें पाने में असमर्थ होता है. वह है खाना. मकान .वस्त्र. दिन रात मेहनत करके भर पेट खाना नसीब नहीं होता. दो वक्त की रोटी सही से नसीब नहीं होती कोई.
इंसान गरीब नहीं होता उसकी सोच गरीब होती है. एक तेज धूप और बारिश में बचने के लिए छत और छाता नहीं होता, सर्दी और गर्मी के दिनों तक शरीर ढकने के लिए वस्त्र नहीं नसीब होता है. गरीब का परिवार अपने बच्चों को शिक्षा का ज्ञान प्राप्त नहीं करवा सकता, क्योंकि इनके लिए खाने तक की भी पैसे नहीं होते.
गरीब एक बिमारी है (Gareeb Ki Kahani Short Story in Hindi)
गरीब एक ऐसी बिमारी है जिसका पास इसका कोई इलाज नहीं . भारत में 70% से ज्यादा लोग हैं गरीब पर स्थिति बदल जाएगी. बीमार होना ठीक है पर गरीब होना नहीं . गरीब रहना गरीबी सहना बहुत बड़ा मुश्किल काम है. शिक्षा के कारण इनका विकास नहीं हो पाता. मानसिक विकास के कारण इनकी सोच और समझ की स्थिति नहीं होती है. भरपेट भोजन ना मिलने के कारण इनका शरीर रोगी हो जाता है. इनको सोचने और समझने की स्थिति नहीं होती .
हर रोज भारती हुई देश की जनसंख्या गरीबी को बढ़ाने का कारण बनता जा रहा है. सरकार के पास इतने अवसर की योजना नहीं है जो देश के सभी गरीबों की मकान खाना वस्त्र दे सके. जितनी जनसंख्या अधिक होगी उतनी जनसंख्या सत्रों की पूर्ति में भी कमी आएगी. गरीब हैं उसमें भी निचले सितारे हैं इनके लिए जिंदगी नरक से कम नहीं होती.
देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है बहुत लोगों के पास करने के लिए ना कोई काम है ना कोई नौकरी है. अगर शुद्ध देश में लोग इतने अधिक होंगे तो जाहिर है सभी की नौकरी तो ना मिलना संभव है. बेरोजगारी की वजह से गरीबी बढ़ रही है. कुछ जगह प्रति बच्चों को शिक्षा दी जा रही है पर सभी गरीबों की शिक्षा प्राप्त नहीं हो रही है.
गरीब रेखा से नीचे वाले लोगों की स्थिति और भी बुरी होती जा रही है. सरकार को कदम उठाना चाहिए मुफ्त शिक्षा दी जाए गरीबी रेखा को सबको नहीं हो पाएगी, परंतु जिसको भी हो जाए धीरे-धीरे हालात में सुधार आएगा. सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि गरीबी रेखा के ख़तम करने के लिए कोई ऐसा इंसान नहीं जो गरीब की मदद करें. बहुत से काम करता है अगर हर रास्ते चलता पुरुष महिला उनकी मदद करें तो शायद हो सके. और उनकी हालत में सुधार आए. तब शायद वह भरपेट खाना खा सकें.
महँगाई ने बढ़ाई और गरीबी (गरीब घर की कहानी)
भारत में महँगाई इतनी बढ़ रही है कि एक नौकरी करने वाला आदमी अपने घर की ज़िम्मेदारियों को चला नहीं पाता. जितनी आमदनी नहीं होती है उतनी घर में खर्चे होते हैं. तो बस अब आप सोचिए कि गरीब कैसे जीता है. एक गरीब का बच्चा संपन्न बच्चों के विद्यालय जाते हुए दिखता है, उनके खेल कूद को देखता है, पर दुर्भाग्य, उनकी ऐसी जिंदगी नहीं होती. उनको वस्त्र को देखते हैं वह भी सोचते हैं काश ऐसा दिन भी जिंदगी में आएगा. तब उनको भी लाचार और बेबस न होना पड़ेगा. पर ऐसा कब होगा हम खुद नहीं जानते. उन्हें अच्छा और पोस्टिक खाना भी देने में असमर्थ होते हैं.
गरीब परिवार कई बच्चे को जन्म देते हैं, बिना सोचे समझे अपने साथ-साथ उनकी भी जिंदगी को दुर्भाग्य के जाल में फंसा देते हैं. ऐसे घर पर थोड़ी बहुत सी कमाई के लिए छोटे बच्चों को काम पर लगाते हैं. छोटे-छोटे उद्योग में जैसी की चाय की दुकान, कबाड़ी की दुकान, इत्यादी हमारे देश में गरीबी सरल आम सी हो गई है. सड़कों के आस-पास छोटी-छोटी झोपड़ियों में रहते हैं. अपना जीवन बर्बाद करते हैं. गर्मी हो या ठंडी उनके पास झोपड़ी ही होती है. गुजर बसर करने के लिए. उनकी हालत के लिए उनकी आँखों से झलकती है. कोई भी उन्हें इज्जत नहीं देता है. हर कोई उन्हें धुतकार करता है. किसी के पास कुछ नहीं रहता उनको देने के लिए. अगर ना भी हो तो काम से कम इज्जत ही कर लो.
गरीबी का प्रमुख कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और आशा है देश के नेता वोट पाने के लिए काई झूठे वादे करते हैं. और गरीबों को उनका हक कभी नहीं मिलता. गरीबों के लिए काई योजना बनाई जाती है पर सिर्फ नाम की रहती है. गरीब और अमीर में आकाश जितना फ़र्क होता है. एक अमीर व्यक्ति अपना जीवन आराम और सफलतापूर्व से गुज़रता है. वही देखा जाए गरीब व्यक्ति बेबस और लाचारी से गुजराता है. इसके करण गांव में रहने वाले बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र बच्चों को अगर शिक्षित बनने का मौका मिले तो दिलो जान लगाकर पड़ें और अपनी जिंदगी में सफल हो बस यहीं करण है जनसंख्या आगे नहीं बढ़ पति है गरीब परिवार में बच्चों का विवाह करना भी असमार्थ होता है. उन्हें काम करके अगर कुछ पैसा जमा करते हैं तो पूरा नहीं पड़ता. अमीरों के आगे हाथ फेलाते हैं तो लोग मदद नहीं करते एक की मदद करने से कुछ नहीं होता है. अगर देश के सभी लोग गरीब गरीबों की मदद करें तो उनकी हालत में सुधार आएगा.
यहां आस-पास के बहुत से लोगों ने योजना बनाई है, जैसे कि दवा का कैंप लगाया गया है, गरीबों की मदद करने के लिए वस्त्रों का कैंप लगाया गया है. क्योंकि गरीब की इतने पास पैसे नहीं होते इतनी महँगी दवाई ख़रीदे. आप चाहो तो अपने आस-पास गरीबों की मदद करने के लिए खुद भी कैंप लगा सकते हैं. अपने बच्चों के पुराने कपड़े बार्टन चप्पल जूता इत्यादि आप एक जगह प्रति रखकर गरीबो सहायता कर सकते हैं.
हर इंसान गरीब भी से छुटकारा पाना चाहता है अक्सर देश में अमीर के बच्चे ही ज्यादा विरोधी होते हैं. क्योंकि आदमी बाप घर के खाना खिलाने के बजाय बाहर का खाना खिलाना ज्यादा पसंद करते हैं. वही एक तरफ देखा जाए तो गरीब के बच्चे बीमार नहीं होते. क्योंकि उनका कहां ऐसा नसीब होता है जो बाहर का खाना खाते हैं . वह तो अच्छा है कम से कम वह पोस्टिक खाना खाती हैं. हमारे देश में आधे से ज्यादा पैसा तो अपने घर वाले का इलाज करवाने में लगता है. ऐसा क्यों होता है क्योंकि इनके पास जितनी सुख सुविधा है उसके बाद भी गरीब की मदद नहीं करते. ना ही इज्जत करते हैं. दूध काटते हैं इसलिए 50% से ज्यादा लोग रोगी होते हैं. अगर वह मदद करें तो शायद यह बिमारी का दुख उनको ना हो. तभी ऐसी स्थिति कम हो जाए जितना हो सके गरीब की मदद करें. मदद करने से कुछ काम नहीं होता बाल्की बढ़ता है ज्यादा you guys help the poor