Ram Mandir: राम मंदिर के संघर्ष में इन लोगों का त्याग रहेगा अमर, दो तो जवानी में ही मंदिर के लिए हो गए शहिद- Ayodhya Ram Mandir Live News

Ram Mandir Latest News in Hindi: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने में अब ज्यादा दिन नहीं बचा हुआ है। जोर-शोर से इसकी तैयारी चल रही है। साल 1992 में 6 दिसंबर से लेकर साल 2024 में 22 जनवरी तक मंदिर आंदोलन ने बहुत सारे उतार-चढाव देखे हुए हैं, जिसमें साधु संतों से लेकर के कार सेवकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे लोगों की जानकारी देंगे जो गुमनाम हो गए परंतु उनका योगदान मंदिर के लिए जरा भी कम नहीं है।

1: कोठारी बंधु

राम मंदिर के आंदोलन में कोठारी भाइयों का सबसे ज्यादा जिक्र किया जाता है। उनके नाम रामकुमार कोठारी उम्र 23 साल और शरद कुमार कोठारी उम्र 20 साल है। दोनों भाइयों के द्वारा 1980 में बजरंग दल को ज्वाइन कर लिया गया था और 1990 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता से वह कार सेवा के लिए अयोध्या में आए थे। साल 1990 में 30 अक्टूबर को कार सेवा के पहले बैच के तौर पर उन्होंने अयोध्या में कार सेवा में भाग लिया था। हालांकि 2 दिन के पश्चात 2 नवंबर को तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार के आदेश पर पुलिस के द्वारा इन्हें गोली मार दी गई थी, जिनमें इनकी मृत्यु हो गई थी। अब राम मंदिर के भूमि पूजन में इनके परिवार वालों को बुलाया गया है।

2: बैरागी अभिराम दास

इन्हें योद्धा साधु के नाम से जाना जाता था। इनका जन्म साल 1949 में 22 दिसंबर के दिन बिहार के दरभंगा जिले में आधी रात को हुआ था। साल 1981 में इनकी मृत्यु हो गई है। इन पर पुलिस के द्वारा भगवान राम के जन्म स्थान पर बने स्ट्रक्चर में राम जी की मूर्ति उभरने के बाद सामने आया था।

3: देवराहा बाबा

बताना चाहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेई, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, राजेंद्र प्रसाद जैसे देश के बड़े पदों पर विराजमान लोग देवराहा बाबा के भक्त थे। इनके द्वारा साल 1984 में प्रयागराज कुंभ मेले में धर्म संसद की अध्यक्षता की गई थी। साल 1989 में 9 नवंबर को इन्होंने अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने का सामूहिक डिसीजन लिया था।

4: श्रीश चंद्र दीक्षित

यह उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व ऑफिसर भी रह चुके हैं, जोकी 1980 के राम मंदिर जन्म भूमि आंदोलन के बड़े नेता में शामिल थे। 1982 से लेकर 1984 तक यह उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक के पद पर विराजमान रहे थे और रिटायर होने के पश्चात विश्व हिंदू परिषद को इन्होंने ज्वाइन कर लिया। इन्होंने अयोध्या में कार सेवा के आंदोलन की रणनीति बनाने और विश्व हिंदू परिषद के कई अभियानों के लिए अहम भूमिका अदा की थी। पुलिस के द्वारा 1990 में इन्हें अयोध्या में कार सेवा के लिए अरेस्ट कर लिया गया था। साल 1991 में भाजपा के टिकट पर यह बनारस से सांसद भी चुने गए थे।

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