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जनता का भला करने में कमज़ोर पढ़ गए बीजेपी-कांग्रेस नेता ?

क्या आपने कभी सुना है की समाज की भालाई करने में नियम और कानून बनाने वाले ही धराशाई हो गए हो, पक्ष और विपक्ष दोनों ही लाचार पढ़ गए हों, नहीं सुना तो आपको आज इसका पूरा जीता जागता उदाहरण बताते हैं,

यह ख़बर है काशीपुर, उत्तराखंड की जहाँ एक ऐसा जनता को लूटने का नियम बनाया गया है जो ना तो उत्तराखंड में हैं और ना ही कहीं ओर, अब आपको बताते हैं की यह मामला है क्या,

दाखिल खारिज में 2% शुल्क

दरसल काशीपुर नगर निगम का एक नियम बनाया गया है जिसमें कोई भी जमीन बिकने के बाद उसकी दाखिल खारिज करने पर पर उसकी लगत मूल्य का 2% नगर निगम को टैक्स के रूप में देना पड़ता है, जैसे अगर आपने 10 लाख की जमीन खरीदी तो आपको उसमें नाम दाखिल खारिज करने में नगर निगम को 20 हज़ार रुपये तो टैक्स के रूप में देने होंगे बाकी वकीलों का खर्चा अलग, जो की सरासर लूट है, और नाइंसाफी है, और सबसे बड़ी बात यह कानून केवल काशीपुर निगम में ही लगाया गया है और उत्तराखंड के किसी शहर या नगर निगम या नगर पालिका में नहीं लगा,

पक्ष-विपक्ष फ़ैल – गज़ब का है खेल

जनता विरोधी इस नियम को हटाने के लिए कई लोगों ने आवाज़ उठाई लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला, यहाँ तक की कानून और नियम बनाने वाले सत्ता पक्ष के नेता भी इस मामले में लाचार दिखाई दिए जैसे उनकी भी कहीं नहीं चलती हो, विपक्षी पार्टी के बड़े बड़े नेता भी इस मुद्दे पर घुटने टेकने पर मजबूर है,

दीपक बाली और शक्ति अग्रवाल पहुंचे हाई कोर्ट – Deepak Bali Kashipur News

इस मामले में शहर के नामी बिल्डर दीपक बाली ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, और नैनीताल हाई कोर्ट में एक पी आई एल दाखिल की, जिसपर उच्च न्यायालय ने कहा की इस मामले में वाही व्यक्ति याचिका दायर कर सकता है जिससे यह शुल्क वसूला गया हो, जिस पर शहर के नामी व्यवसाई शक्ति अग्रवाल ने अपने मकान पर 2% दाखिल खारिज वसूलने पर निगम के विरुद्ध एक याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की, जिसे स्वीकार कर लिया गया, और सरकार से चार हफ्ते में ज़वाब दाखिल करने का आदेश दिया है, इसकी जानकारी व्यवसाई दीपक बाली (Kashipur Deepak Bali News) ने एक प्रेस वार्ता में दी ,

इस मामले में नगर की जनता को न्याय मिलने की पूरी आशा है, क्योंकि उत्तराखंड में काशीपुर एकलौता नगर निगम है जहाँ ऐसा शुल्क लगता है,

आपको बता दें की बहुत समय पहले जब काशीपुर नगर पालिका बोर्ड थे तो तत्कालीन अध्यक्ष के कार्यकाल में यह कानून बनाया गया था, और लगातार दाखिल खारिज में 2% शुल्क लेकर जनता को लूटा जा रहा है,

टैक्स देने के बाद भी सुविधाओं का अभाव

इतना पैसा लूटने के बाद भी नगर की जनता को सुविधाएं भी नहीं मिली जितनी मिलनी चाहिए, बरसात के सीजन में व्यापारियों का लाखों रुपये का सामान बर्बाद हो जाता है,

हम सरकार से और उच्चा न्यायालय से अपील करते हैं की काशीपुर की जनता को जल्द इन्साफ मिलना चाहिए और आज तक जितना पैसा वसूला है उसका कहाँ उपयोग किया गया है पूरा सच सामने आना चाहिए,

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By Jitendra Arora

- एडिटर -

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