वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कार्बन उत्सर्जन में तत्काल कमी नहीं लायी गयी तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में भयानक स्तर की वृद्धि होगी। ये वृद्धि हम अभी ही नहीं झेल पा रझे हैं। सोचिए, आने वाली पीढ़ियां इसे कैसे झेलेंगी। इसके दुष्प्रभाव देश के अनेक हिस्सों में दिखाई देने लगे हैं। शिमला के लोगों ने अपने पर्यटकों से अपील की है कि हमारे यहाँ हमारे लिए ही पानी नहीं है, आपको क्या पिलाएंगे। इसलिए यहाँ न ही आइये। हमारे यहाँ आगंतुकों का पानी और मीठा से स्वागत करने की परंपरा रही है। लेकिन वहां अब मीठा बचा है। पानी नहीं है। देख लीजिए, स्वाद और रंग से हीन एक पदार्थ आपके जीवन के सारे रंग कैसे छीन लेता है। इतनी सुंदर जगह शिमला। लोगों ने किसी बाहरी को वहां आने से मना कर दिया है। होटलों ने बुकिंग बंद कर दी है। अतिथि देवो भवः की संस्कृति ने प्रकृति की एक नाराजगी के आगे घुटने टेक दिए हैं। अब ये आपको सोचना है कि आप प्रकृति को बचाएंगे या संस्कृति को।

By Jitendra Arora

- एडिटर -

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