तुलसी के आयुर्वेदिक गुण | Tulsi Benefits in Hindi

Whatsapp Channel Join
Telegram Channel Join

तुलसी सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है । ये हिंदू धर्म में माता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। अत: इसलिए यह प्रायः सभी हिंदू घरों में पाई जाती है । वैसे तो तुलसी के सात प्रकार हैं ।लेकिन अधिकतर दो प्रकार की तुलसियाँ सभी घरो में पाई जाती है ।एक हरी पत्तियों वाली तुलसी जिसका नाम ( राम तुलसी ) है तथा एक लाल पत्तों वाली तुलसी जिनका नाम (श्यामा तुलसी )हम जानते हैं।लेकिन तुलसी का केवल धार्मिक महत्व नहीं है ।बल्कि यह आयुर्वेद की दृष्टि से भी बड़ी महत्वपूर्ण और उपकारी है ।यह हमारी छोटी-छोटी बीमारियों से लेकर कई बड़ी बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखती है । आज के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे । तो आइए शुरू करते हैं ।

सबसे पहले आपको बता दें की तुलसी को इंग्लिश में Holy basil कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम Ocimum Tenuiflorum होता है |

सर्दी खांसी व जुकाम में वन तुलसी के लाभ | Van Tulsi Benefits in Hindi

सर्दी खांसी तथा जुकाम में 5 -6 तुलसी के पत्तों को थोड़ी सी अदरक और 4 काली मिर्च डालकर काढ़ा बना कर पीने से राहत मिलेगा ।

नेत्रों के कष्ट के लिए तुलसी के उपयोग : –

नेत्रों का पीला हो जाना अथवा नेत्रों का लाल हो जाना ।तथा रतौंधी हो जाना इन सभी परेशानियों की एक ही दवा है तुलसी।श्यामा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर यदि दो बूंद करके नेत्रों में डाला जाए तो यह तीनों परेशानियां ठीक हो जाएंगी ।तथा इसे काजल की तरह नेत्रों में लगाने से नेत्रों की रोशनी भी बढ़ती है ।

गठिया रोग में तुलसी हैं कारगर : –

गठिया के दर्द से परेशान लोगों को तुलसी के जड़ उसकी पत्तियों उसकी मंजरी तथा उसकी डंठल को एक साथ मिलाकर इसका पाउडर बनाकर | इस पाउडर (चूर्ण) में पुराने गुड़ मिलाकर इसे अपने अंदाज से 12 -13 ग्राम की गोलियां बना कर रख लेना चाहिए ।और नित्य सुबह शाम देसी गाय के दूध के साथ इसे खाना चाहिए |इससे गठिया के दर्द से परेशान रोगियों को लाभ होगा राहत मिलेगी |

कुष्ठ रोग अथवा कोढ़ के रोग को ठीक कर सकती है तुलसी :-

कुष्ठ रोग एक बड़ा ही कष्ट दाई रोग है |जिसके हो जाने पर कष्ट तो होता ही है । साथ ही लोग भी कुष्ठ रोगी से घृणा करने लगते हैं । तो ऐसे कष्ट दाई रोग में भी तुलसी बहुत ही ज्यादा उपकारी हैं |इसके लिए तुलसी की जड़ को पीस लें और उसमें सौंठ मिलाकर जल के साथ नित्य प्रातःपिएं ।इसके साथ ही तुलसी के पत्तों का रस निकालकर नित्य पीने से भी कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है ।आयुर्वेद के ज्ञाता जन यह भी बताते हैं कि तुलसी के बगीचे के पास निवास करने वाले लोगों को कोढ़ का रोग लगभग नहीं ही होता है |

सर्प के विष से तुलसी करे रक्षा : –

सर्प के काट लेने पर जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा है उसे तुरंत तुलसी पत्र खिलाने चाहिए ।इससे उस व्यक्ति के प्राणों की रक्षा हो सकेगी |यदि घर से दवा खाना दूर है और सर्प ने काट लिया हो तो इस उपाय से पीड़ित को दवाखाना तक पहुंच पाने के लिए समयआसानी प्राप्त हो जाएगा।क्योंकि यह उपाय तो कारगर है परंतु आज के आधुनिक समय में लोग ऐसी चिकित्सा पर विश्वास नहीं करते अतः इस उपाय को करने के बाद भी डॉक्टर के पास जाया जा सकता है ।तथा देह के जिस अंग पर भी सर्प ने काटा हो वहां तुलसी के जड़ को गाय के घी अथवा माखन के साथ रगड़ कर उसका लेप लगाने से विष उतरने लगता है ।तथा जैसे-जैसे विष उतरता जाता है वैसे वैसे लेप का रंग सफेद होने लगता है ।सर्प के डंक मारने पर चढ़े विष को उतारने में तुलसी के सभी अंग लाभकारी है ।

तुलसी के पत्ते याददाश्त मजबूत करने में उपयोगी :-

जिन की याददाश्त कमजोर हो उन्हें नित्य तुलसी के २ पत्तेखाने चाहिए ।और यादाश्त कमजोर ना होने पर भी इसका सेवन लाभकारी है ।

(तुलसी के पत्तों को कभी भी चबा चबा करनहीं खाना चाहिए ।क्योंकि तुलसी में पारा होता है जो चबाकर खाने से दांतों का छय कर देता है |इसलिए जब भी तुलसी पत्र कहां है चबाने के बजाय पानी के साथ लील लें ।)

उपयोगी लिंक

सरकारी योजनायेंहोम जॉब्सपैसे कमाने वाले एप
मोटिवेशनलफुल फॉर्मबैंक लोन
ऑनलाइन जॉब्सस्वास्थ्य टिप्सबिजनेस आईडिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *