काशीपुर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का बॉर्डर है, शहर में शहर के आस पास बहुत से पर्यटन स्थल हैं| हमारा शहर एक ऐतिहासिक नगरी है | यहाँ और द्रोणाचार्य द्वारा पांडवों को शिक्षा दी गई थी | जहाँ पर शिक्षा दी गई थी उसे आज हम द्रोणा सागर के नाम से जानते हैं | यहाँ गौविषाण टीला है जहाँ पर 5वीं शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर है | द्रोणा सागर में लोग सुबह-शाम भ्रमण करने आते हैं | यहाँ का वातावरण लोगों को बहुत आकर्षित करता है |
चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार मादीपुर से 66 मील की दूरी पर गोविषाण नामक स्थान था | जिसकी ऊँची भूमि पर ढाई मील का एक गोलाकार स्थान था। उनके अनुसार यहाँ उद्यान, सरोवर एवं मछली कुंड भी थे। इनके बीच ही दो मठ थे, जिनमें सौ बौद्ध धर्मानुयायी रहते थे।आसपास के स्थानों पर 30 से अधिक हिन्दू धर्म के मंदिर भी थे। नगर के बाहर एक बड़े मठ में 200 फुट ऊँचा अशोक का स्तूप था। इसके अलावा दो छोटे-छोटे स्तूप भी थे, जिनमें भगवान बुद्ध के नख और बाल रखे गए थे। इन मठों में भगवान बुद्ध ने लोगों को धर्म उपदेश दिए थे।
काशीपुर में इसके अतिरिक्त मोटेश्वर महादेव मंदिर भी भीष्म कालीन माना जाता है, जहाँ शिवरात्रि पर्व में लाखों शिवभक्त हरिद्वार से गंगा जल लाकर जल चडाते हैं | इसके अतिरिक्त यहाँ माँ बाल सुन्दरी का मंदिर भी है | काशीपुर में सिखों के गुरु बाबा नानक की शरणस्थली ननकी साहब भी है |
पर्यटकों के लिए यहाँ गिरीताल सरोवर भी जहाँ का प्राकर्तिक सौन्दर्य देखते ही बनता है | गिरीताल में एक विशाल सरोवर है जहाँ कमल के फूलों को देखने दूर दूर से पर्यटक आते हैं | |
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