जीवन को देखने का नजरिया (Jeevan Ko Dekhne Ka Nazariya)

नमस्कार दोस्तों । हम आज फिर आपके लिए एक मोटिवेशनल स्टोरी लेकर आये हैं। जो आपके जीवन में चार चांद लगा देगा । कुछ लोगों का कहना है कि मोटिवेशनल स्टोरी पढ़ने से कुछ नहीं होता है । मेरा मानना है जो लोग मोटिवेशनल स्टोरी पढ़ते हैं वो लोग दूसरों में कमियां निकालना भूल जाते हैं और अपनी कमियां देख पाते हैं जो हमें जीवन में सफल बनाने में मदद करती हैं ।

चलो अभी स्टोरी शुरू करते हैं और पढ़ते हैं

मोहन मैले में गुब्बारे बेंच क़र अपना गुज़ारा करता था | मोहन के पास लाल, पिले, निले, हरे औऱ भी कई रंगों के गुब्बारे थे | जब उसकि बिक्री क़म होने लगति तो वह हिलियम गैस से भरा एक़ गुब्बारा हवा में छोड़ देता | बच्चें जब उस उडते हुई गुब्बारे को देखतें, तो वैसा हि गुब्बारा पाने के लिए आतुर हो उठतें | वे उसके पास गुब्बारे ख़रीदने के लिये पहूंच जाते,मोहन की बिक्री फ़िर बढने लगती | मोहन कि बिक्री जब भी घटती, वह उसे बढाने के लिये गुब्बारे आसमान में छोड़ने। का यह तरीक़ा अपनाता | एक़ दिन मोहन को महसुस हुआ कि क़ोई उसके जेकेट को खींच रहा है तो उसने पलट क़र देखा तो वहाँ एक़ छूटा सा बच्चा खडा था |उस बच्चे ने पोछा कला रंग का गुब्बारा भी उड़ेगा क्या बच्चे के इस सवाल ने मोहन के मन को छू लिया | बच्चे की और मुड़ कर मोहन ने ज़वाब दीया, “बेटा, गुब्बारा अपने रंग क़ि वज़ह से नहीं बल्कि उसके अन्दर भरि चीज की वज़ह से उड़ता है तो दोस्तो

ऐसे ही हम सभी के जीवन में भी यहीं नियम लागूँ होता हमारी अंदरूनी शख्सीयत ही हमारा नजरीया बनता है, वहीँ हमेँ ऊपर उठाता है |

हार्वर्ड विश्व-विद्यालय के विलियम्स जेम्स का कहना है, हमारी पिढी की सबसें बडी खोज़ यह है क़ि हर आदमी अपने देखने के तरीके को बदल के अपनी जिंदगी को बदल सकता हैं

तो दोस्तों आशा करता आप को ये स्टोरी पसंद आई होगी फिर मिलते हैं एक नई स्टोरी के साथ

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