विवेक शर्मा,
नई दिल्ली, फरवरी 2018: कोरियाई सांस्कतिक केंद्र ने एक अद्भुत प्रदर्शनी
‘सिओल -मुंबई टू दिल्ली’ का आयोजन किया है जिसका विषय है – भोजन के साथ
हमारा सम्बन्ध| प्रदर्शनी में कलाकार ने दक्षिण कोरिया से मुंबई और फिर
दिल्ली तक के भोजन के सफर को दिखलाया है| प्रदर्शनी कई सवाल खड़े कर रहा है,
जैसे – क्या खाना हमारी छवि बना सकता या हमें प्रभाषित कर सकता है ? दूसरे
के साथ हमारे सम्बन्ध, हमारी कमजोरियों को माप सकता है? भोजन से जुड़े
कार्य कैसे इंसान के जीवन में उसके पालन, पोषण, उदासीनता और अन्य यादों को
बांधता है|
इस प्रदर्शनी
के माध्यम से कलाकार चाहते है की लोग उन बातों पर सोचे जिसकी अहमियत खो गई
है| टिफ़िन बॉक्स, प्लेट, पेपर पैकेट और खाने के बाद बचे हुए खाने से इस
सन्देश को प्रस्तूत किया गया है|
प्रदर्शनी में 7 कलाकारों की कहानिया है – शिव अहूजा, जंगजीन अहं, क्यूंगवू चून, योंगडों जंग, चानक्यू किम, जइयों किम और तइजुन यून|
योंगडों
जंग ने बावर्चियों की कहानी को बहुत ही अद्भुत तरीके से दर्शाया था| मुंबई
के 12 शेफ ने अपनी आत्मकथा इन प्लेट पर लिखी थी| दिल्ली के इस प्रदर्शनी
में 12 प्रतिभागियों को एक साथ इन्ही प्लेटों में पुलाओ परोसा गया, जिसे
खाने वक्त प्रतिभागी शेफ की कहानियों को अनोखे तरीके से देख पा रहे थे|

इस प्रदर्शनी
में आप कई बातों को या यू कहे की अपनी सोच को टटोल पाएंगे| शिव अहूजा की
‘टाइमपास’, जंगजीन अहं की ‘नो वे आउट’, क्यूंगवू चून की मुंबई के मशहूर
‘डब्बा वाला’ की कहानी और ‘लाइट कैलीग्राफी’, योंगडों जंग की ‘डी प्लेटस ऑफ़
प्लेट’, चानक्यू किम की ‘चिल्ड्रन ऑफ़ स्टार’, जइयों किम की ‘ए पोर्ट्रेट’
और तइजुन यून की ‘कीप साइलेंट अबाउट वाट यू कांट सेय’ जैसी सोचने वाणी
रचनाएँ का लुफ्त 07 मार्च तक उठा सकते है

By Jitendra Arora

- एडिटर -

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