फिल्मों और टीवी सीरियल्स के दृश्यों में किसी प्रॉडक्ट का ऐडवर्टाइज़मेंट तो आपने कई बार देखा होगा, लेकिन अगर कोई डॉक्टर लाइव सर्जरी के दौरान किसी मेडिकल प्रॉडक्ट को बेचे तो आपको यह जानकर कैसा लगेगा? कुछ लोगों को यह बात चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन यह बिलकुल सही है। मसलन-दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में आयोजित नैशनल इंटरवेंशनल काउंसिल (एनआईसी) 2017 की कॉन्फ्रेंस में एक दिल के डॉक्टर सर्जरी के दौरान अपने साथी डॉक्टरों को संबोधित करते हुए एक मेडिकल प्रॉडक्ट का प्रचार करते नजर आते हैं। वह कहते हैं, ‘स्टेंट्स की दुनिया में यह नया और बेहद कामयाब है। पूरी दुनिया में आपको ऐसा स्टेंट नहीं मिलेगा। मैंने 56 सर्जरियां की हैं। कोई परेशानी नहीं आई। ये बेहद सस्ता भी है।’ बता दें कि स्टेंट दिल के ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाला ट्यूब सरीखा प्रॉडक्ट है, जिसे दिल की बंद हो चुकी धमनियों के बीच डाला जाता है। ऐसा करने का मकसद दिल तक खून के प्रवाह को सामान्य बनाना होता है।
एनआईसी 2017 में हर डॉक्टर लाइव सर्जरी के दौरान दिए जा रहे व्याख्यान में किसी खास ब्रैंड नेम और उसकी खूबियों का बखान कर रहा है। डॉक्टरों को जिस डिस्प्ले पर लाइव सर्जरी देखने का मौका मिलता है, उसपर प्रॉडक्ट के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है। लाइव सर्जरी के दौरान प्रॉडक्ट्स का ऐसा प्रचार मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि, पहले से रेकॉर्ड करने के बजाए लाइव सर्जरी के दौरान ही प्रॉडक्ट्स के ऐडवर्टाइज़मेंट पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इन्हें बनाने वाली कंपनियां इसके लिए अच्छी खासी रकम चुका रही हैं।
एनआईसी 2017 से पहले एक ऐसी ही कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस इंडिया लाइव 2017 फरवरी में आयोजित हुई थी। इस दौरान डॉक्टरों को 30 लाइव सर्जरियों के जरिए इस क्षेत्र में आजमाई जा रही नई तकनीक की जानकारी मिली थी। इस आयोजन की स्पॉन्सरशिप के लिए मल्टीनैशनल मेडिकल कंपनियों ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे। हालांकि, इन्हीं कंपनियों ने एनआईसी 2017 के आयोजन के लिए उसी तरह का उत्साह नहीं दिखाया। जहां तक एनआईसी 2017 का सवाल है, इसके बड़े स्पॉन्सर्स में एक नाम स्टेंट बनाने वाली चीनी कंपनी का भी है, जिसकी हाल ही में भारतीय बाजार में एंट्री हुई है।कई सीनियर डॉक्टर मल्टीनैशनल कंपनियों के बने स्टेंट का पुरजोर समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने अपने समर्थन का आधार इन मेडिकल प्रॉडक्ट्स को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा मंजूरी दिए जाने को बताया था। हालांकि, अब वही डॉक्टर उन नए प्रॉडक्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं, जिन्हें एफडीए ने कोई मंजूरी नहीं दी है। और तो और, उन्हें इनके इस्तेमाल का अनुभव भी बेहद कम है।
हालांकि, सारे डॉक्टर मेडिकल प्रॉडक्ट्स को इस तरह बढ़ावा दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। इनमें से कुछ ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में इस चलन का विरोध जताया। हालांकि, उन्होंने इसे रोकने में खुद को मजबूर बताया क्योंकि इसकी वजह से ऐसे कॉन्फ्रेंस करने वाले आयोजनकर्ताओं को बड़े पैमाने पर पैसा मिलता है। इसके अलावा, इस तरह के आयोजन करने वाले लोग इस क्षेत्र के ‘बिग डैडी’ भी होते हैं। डॉक्टरों और ऐसे प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों, दोनों ने बताया कि लाइव सर्जरी के दौरान किसी ब्रैंड का प्रचार सिर्फ दिल के ऑपरेशन के दौरान ही नहीं, बल्कि दूसरी विधाओं मसलन-न्यूरॉलजी, आर्थोपेडिक्स आदि के क्षेत्र में भी होता है।
इंडियन जरनल ऑफ मेडिकल एथिक्स के संस्थापकों में से एक डॉ अमर जेसानी लाइव सर्जरी के मुखर आलोचक हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मरीजों के लिए खतरे को बढ़ाता है। अगर उनका मकसद शिक्षण कार्य है तो इसे पहले रिकॉर्ड करके बाद में क्यों नहीं दिखाया जा सकता? लेकिन सर्जन ध्यान खींचने और अपने स्किल्स दिखाने के लिए ऐसा करते हैं। क्या डॉक्टर कंपनियों के सेल्सपर्सन हैं, जो किसी खास प्रॉडक्ट को प्रमोट करें। पेशेगत नैतिकता तो यही कहती है कि डॉक्टर किसी प्रॉडक्ट को बढ़ावा देने के लिए पैसे नहीं ले सकता। चूंकि, मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों के असोसिएशन को नियमों के दायरे से बाहर रखा है, इसलिए कंपनियां किसी खास डॉक्टर के बजाए आयोजकों या उनके सहयोगियों को पैसे चुकाती हैं।’
इस बारे में एनआईसी 2017 के आयोजकों से संपर्क करने की बार-बार कोशिश की गई, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। बता दें कि इंडियन मेडिकल काउंसिल ऐक्ट के तहत लाइव ऑपरेशन की इजाजत है, लेकिन यह निजी आर्थिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।