अभियुक्त स्वयं या अपने वकील के माध्यम से जमानत का प्रार्थना पत्र दे सकता है । यदि अभियुक्त वकील नही कर सकता है तो वह इस सम्बन्ध मे मजिस्ट्रेट / जज महोदय को प्रार्थना पत्र दे सकता है कि उसे वकील की सुविधा उपलब्ध करायी जाये । वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से भी सम्पर्क करके निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का अनुरोध कर सकता है ।
जमानत खारिज होने पर आदेश की निःशुल्क प्रति प्राप्त करने का अधिकार अभियुक्त को होता है जो न्यायालय से प्रार्थना करके प्राप्त किया जा सकता है । अगर जमानत हो जाती है तो जमानत के समय जमानतदारो को न्यायालय मे उपस्थित होना आवश्यक है जिससे मजिस्ट्रेट अपने को संतुष्ठ कर सके कि प्रतिभूतियो द्वारा जो जमानतानामे दिये गए है वे पर्याप्त है और जमानतदार की हैसियात कितनी है । जमानतदार 18 वर्ष की आयु से अधिक का होना चाहिए । जमानतदार यदि हैसियत वाले है और पेशेवर नही है और यदि उनके आचरण के विरुद्ध कोई रिपोर्ट उपलब्ध नही है तो जमानतनामे सामान्यतया अस्वीकृत नही किये जाते ।

उपयोगी लिंक

सरकारी योजनायेंहोम जॉब्सपैसे कमाने वाले एप
मोटिवेशनलफुल फॉर्मबैंक लोन
ऑनलाइन जॉब्सस्वास्थ्य टिप्सबिजनेस आईडिया

By Jitendra Arora

- एडिटर -

One thought on “न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना -पत्र देने का तरीका – जमानत के नियम”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *