दुनियां जैसे जैसे आधुनिक होती जा रही है वैसे वैसे नए नए रोग उतपन्न होते जा रहे हैं | कोरोना जैसी महामारी ने तो सबको हिला कर रख दिया है | लेकिन इस कोरोना महामारी के इलाज में एक सबसे महत्वपूर्ण बात सामने आई और वो है रोग प्रतिरोधक क्षमता | जिसे हम अंग्रेजी में इम्युनिटी पॉवर कहते हैं | कोरोना से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही माना गया है की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाओ | जिसकी इम्युनिटी पॉवर अच्छी है उसे कोरोना तो क्या दूसरी बीमारियाँ भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती | इसी कारण कोरोना के ईलाज में आयुर्वेद की चर्चा सबसे अधिक हुई | क्योंकि आयुर्वेद आरंभ से ही शरीर को मजबूत करने की बात कहता है | और इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के बहुत ही प्राचीन उपाय हैं | जैसे चवन प्राश, काढ़ा और हल्दी का सेवन आदि | इसीलिए हमने आज आपको आयुर्वेद के सम्बन्ध में यह जानकारी देने जा रहे हैं | आज हम आपको बतायंगे कि आयुर्वेद क्या है |आयुर्वेद का इतिहास | इसका क्या महत्व है | आयुर्वेद के कार्य करने का तरीका और आयुर्वेद के लाभ |
आयुर्वेद क्या है
आयुर्वेद प्राचीन भारत की चिकित्सा पद्धति रही है। आयुर्वेद भी एक प्रकार का विज्ञान है जो प्राचीन काल से उपयोग में लाया जा रहा है। क्योंकि प्राचीन काल से या लगभग 5000 वर्षों से इसका प्रमुख उद्देश्य हमारे जीवन के भावात्मक एवं भौतिक रूप को पहचानना है तथा उन पर अपने ध्यान को केंद्रित करना है। यह चिकित्सा (आयुर्वेदिक इलाज) के लिए एक सात्विक दृष्टिकोण है क्योंकि इसमें हमारे रोगों को जानकर उसके असली वजह पर कार्य किया जाता है। यदि संभव हो तो योग और व्यायाम के जरिए रोग को नष्ट करने की चेष्टा की जाती है तथा औषधि की आवश्यकता होने पर सात्विक ढंग से प्राकृतिक जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है। इसमें जीव जंतुओं के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा करके नी दवा का निर्माण नहीं किया जाता। अतः इसलिए भी यह इलाज की एक सात्विक प्रक्रिया है। इसके उपचार विधि को जानने से पहले हम यह जान लेते हैं की आखिर आयुर्वेद का सही और सटीक अर्थ क्या है। इसका महत्व क्या है।
हमारे जीवन में आयुर्वेद का महत्व क्या है?
आयुर्वेद का अर्थ है जीवन के हर पहलू का ज्ञान फिर वह चाहे मौलिक ज्ञान हो मानसिक ज्ञान हो भौतिक या आत्मज्ञान हो। आमतौर पर विज्ञान हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है परंतु यह आयुर्वेद ऐसा विज्ञान है जो हमें स्वस्थ जीवन भी प्रदान करता है। आयुर्वेद अपने प्राकृतिक ढंग से चिकित्सा करने के कारण लोगों को प्रिय है। जो बीमारियों को दूर करने के साथ साथ हमारे शरीर और मस्तिष्क को भी पुष्ट रखने का कार्य करता है। आयुर्वेद का अर्थ केवल जप, तप,योग, ध्यान या शरीर की मालिश अदि कार्य नहीं बल्कि रोगों के जड़ तक पहुंच कर उसे मिटाना है।
आयुर्वेद इस सिद्धांत पर कार्य करता है के अपने जीवन को स्वस्थ कैसे बनाएं तथा उत्तम स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इतनी भावनाओं का संतुलन बनाए रखना चाहिए। प्राणायाम करना चाहिए तथा संतुलित आहार लेना चाहिए। तथा अपनी गलत जीवनशैली मैं बदलाव कर उसमें सुधार लाना चाहिए गलत जीवनशैली भी रोगों को जन्म देती है हमें इसका भी ख्याल रखना चाहिए।
आयुर्वेद का इतिहास क्या है?
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जिसका प्रचलन भारत में 5000 वर्षों से पूर्व से है। आयुर्वेद संस्कृत के शब्द अयूर तथा वेद को मिलाकर बना है जिसका अर्थ है जीवन ज्ञान अर्थात जीवन का ज्ञान। आयुर्वेद चिकित्सा का अस्तित्व भारत में वर्षों से है ।इसका ज्ञान वेद पुराणों में वर्षों पहले दिया जा चुका है। हमारे भारत के महान ऋषि गण ऋषि पतंजलि चरक ऋषि आदि ने आयुर्वेद के महत्वपूर्ण सूत्र हमें दिए हैं चरक संहिता भी उन्हीं की देन है जिसमें हमें आयुर्वेद के महानतम ज्ञान प्राप्त होते हैं। यह अन्य बात है की इसका पुनः प्रचलन कुछ वर्षों से ही योग के साथ आरंभ हुआ है। कुछ शोधों के अनुसार पश्चिमी देशों में पिछले कुछ वर्षों से आयुर्वेद के प्रति रुझान देखा गया है। परंतु आज भी इसे चिकित्सा के अन्य विकल्प के रूप में मान्यता नहीं मिली है।
आयुर्वेद के कार्य करने का तरीका
आयुर्वेद तीन प्रकार के उर्जा को परखता है हेलो जोकि पंचतत्व से निर्मित होने के कारण हर सजीवों में होता है। तथा पंच तत्वों के संयोग से यह मानव देह में तीन दोषों का रूप ले लेता है। जिसे वात पित्त और कफ कहते हैं। जब यह तीनों संतुलित रहते हैं तो हमारा शरीर स्वस्थ रहता है ।
१. वात आकाश और वायु तत्वों से मिलकर बना है। हृदय की धड़कन, उत्तक आंदोलन, मांस पेशी, स्वास आदि को नियंत्रित करता है। यह संतुलन में होने पर रचनात्मकता तथा लचीलापन को पुष्ट रखता है। तथा संतुलन बिगड़ने पर भय और चिंता का कारण बनता है।
२.पित्त आग और पानी से मिलकर बना है जो संतुलन में रहने पर पाचन, पोषण, आत्मसात, अवशोषण, तथा शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने का कार्य करता है संतुलित रहने पर समाज और बुद्धि को बढ़ाता है ।परंतु इसके असंतुलित हो जाने पर हमारे स्वभाव का प्रभाव डालता है और हमें क्रोध, ईशा, घृणा के वशीभूत कर देता है।
३.कफ भूमि और जल तत्व से निर्मित है। यह हड्डियों,मांस पेशियों का निर्माण करता। और कोशिकाओं को एक साथ बने रहने के लिए गोंद का निर्माण करता है। तथा जोड़ों में चिकनाई बनाए रखता है। इंग्लिश के संतुलन बिगड़ने पर लगाव, लालच तथा ईर्ष्या उत्पन्न करता है।
आयुर्वेद के लाभ
आयुर्वेद हमारी कई प्रकार की समस्याओं का निदान करने में सक्षम है। जैसे नींद, सिर दर्द, बुखार, पीलिया, कब्ज जैसे छोटे रोगों से लेकर कैंसर, टीबी ,बंध्या पन जोड़ों के दर्द आदि बड़े रोगों का भी सहज भाव से कर पाने में सामर्थवाण है। किंतु इसके लिए सटीक परहेज तथा औषधि (आयुर्वेदिक मेडिसिन) की जानकारी होना तथा उसका पालन करना अनिवार्य है। योग प्राणायाम व्यायाम आदि से कई रोगों से लड़ने में मददगार सिद्ध हो सकता है।
आयुर्वेद में शरीर की शुद्धि का महत्व
अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर की शुद्धि का भी बड़ा महत्व है। नित्य क्रियाओं, पंच क्रियाओं द्वारा शरीर की भी शुद्धि होती रहती है। परंतु इनमें परेशानी आने पर कई घरेलू औषधियां उपचारों द्वारा इन्हें ठीक कर लिया जाता है। जैसे हल्दी, अदरक, जीरा ,अजवाइन ,शॉफ, घृतकुमारी मालती रातरानी आदि बेहतरीन घरेलू दवाइयां है।
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