जनता की अदालत

देश की कानून और न्याय व्यवस्था इतनी
लचीली और खर्चीली है कि गरीब आदमी को न्याय मिलना – लोहे के चने चबाने जैसा
है।  भ्रष्ट और अपराधी लोग – जनता के पैसे लूटकर और अपराध करके आराम से
रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि वो कई साल तक जेल नहीं जायंगे। उनके
मुक़दमे कई सालों तक चलेंगे। 
इसलिए जनता को अपनी निजी अदालतें बनाने कि सोचना चाहिए, जिसमे सारा खर्च
देश की जनता अपने आप करे। इन अदालतों में भ्रष्ट लोगो के केस ही चलायें
जाएँ, जिनसे उन्हें जल्द सजा मिल सके।

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