आज अपने ओर पुरानी पीडी के बारे मे लिखने का मन कर रहा है क्योंकि आज कि पीडी और पुरानी पिडीयों के बीच कि सोच ने आज मेरे एक मित्र कि जान ले ली। क्या होता है सोच मे अंतर इसको समझने कि कोशिश कर रह हूँ, शायद कोई हल निकल आये। मैं चाहता हूँ जो भी इस लेख को पडे अपना विचार व्यक्त करे।