बैठक में केजीसीसीआई अध्यक्ष श्री अशोक बन्सल द्वारा डाॅ0 सुधाशुं त्रिवेदी को अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड राज्य में औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2003 में केन्द्र के तत्कालीन प्रधानमंत्री, माननीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी द्वारा वर्ष 2013 तक 10 वर्षों के लिए केन्द्रीय औद्योगिक पैकेज दिया गया था। वर्ष 2004 में केन्द्र में सत्ता परिवर्तन होने पर केन्द्र की तत्कालीन सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को प्रदत्त पैकेज की अवधि घटाकर इसे वर्ष 2010 तक ही सीमित कर दिया गया जिसके कारण वर्ष 2010 से पूर्व ही राज्य में नये पूंजी निवेश पर विराम लग गया। उत्तराखण्ड एक विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है तथा इसके कुल क्षेत्रफल का 70 प्रतिशत भूभाग वन, नदी, घाटी एवं पर्वत श्रृंखलाओं से आच्छादित होने के कारण यहां पर उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल एवं उत्पाद के लिए बाजार की उपलब्धता बहुत सीमित है। इसके अतिरिक्त समुद्र तट से अधिक दूरी होने के कारण उत्तराखण्ड के उद्योगों को कच्चे एवं तैयार माल के आयात-निर्यात पर परिवहन लागत बढ़ने के कारण उत्पादन लागत बढ़ने से यहां के उत्पाद देश के अन्य भागों के उद्योगों की अपेक्षा अधिक महंगे हो जाते हैं जिससे यहां के उद्योग देश के अन्य राज्यो के उद्योगों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। इसके परिणामस्वरूप उत्तराखण्ड औद्योगीकरण में देश के अन्य राज्यों से पिछड़ रहा है तथा रोजगार की उपलब्धता न्यूनतम होने के कारण राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार की तलाश में पलायन करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय प्रधानमन्त्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी के ’मेक इन इण्डिया’ मिशन की अवधारणा को उत्तराखण्ड में भी पूरा करने के लिए केन्द्रीय औद्योगिक पैकेज की अवधि को आगामी 5 वर्षों तक बढ़ाया जाना नितान्त आवश्यक है। चूंकि नये उद्योग लगाने हेतु शासन द्वारा अधिसूचित/विकसित औद्योगिक आस्थानों में भी भूमि की उपलब्धता नहीं है, अतः उत्तराखण्ड में औद्योगिक पैकेज की अवधि बढ़ाये जाने के साथ-साथ नये उद्योगों की स्थापना हेतु नोटिफाईड भूमि की बाध्यता को भी खत्म किया जाना चाहिए ताकि उद्यमी किसी भी सुविधाजनक स्थान पर अपने उद्योग स्थापित कर सकें।
उत्तराखण्ड में केन्द्रीय औद्योगिक पैकेज के समय राज्य सरकार द्वारा उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप 24 घण्टे बिजली उपलब्ध कराने का वादा किया गया था। उत्तराखण्ड में उद्योगों की स्थापना का यह भी एक मुख्य आकर्षण था परन्तु औद्योगीकरण के अनुपात में यहां पर बिजली का उत्पादन निरन्तर कम होता जा रहा है जिसके कारण कार्यरत उद्योगों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तराखण्ड में विद्युत का उत्पादन केवल जल विद्युत परियोजनाओं पर ही आधारित है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा विभिन्न कारणों से उत्तराखण्ड की कई बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाने के कारण उत्तराखण्ड में विद्युतापूर्ति की स्थिति निरन्तर दयनीय होती जा रही है। उत्तराखण्ड में विद्युत की कमी को पूरा करने के लिए हाईड्रो पावर (जल विद्युत) परियोजनाओं के अतिरिक्त बिजली उत्पादन का कोई अन्य साधन नहीं है। प्रतिनिधिमण्डल द्वारा उत्तराखण्ड में मांग के अनुरूप विद्युतापूर्ति सुनिश्चित किये जाने हेतु केन्द्रीय पूल से बिजली का कोटा बढ़वाये जाने की मांग की गयी।
जनपद ऊधम सिंह नगर के अन्तर्गत पन्तनगर, रूद्रपुर, काशीपुर व सितारगंज क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों के विकास को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय राजमार्गों का उच्च गुणवत्तायुक्त तरीके से निर्माण कराये जाने हेतु केन्द्र स्तर से सहयोग की मांग की गयी।
प्रतिनिधिमण्डल द्वारा अवगत कराया गया कि रूद्रपुर में ई.एस.आई. अस्पताल के निर्माण हेतु श्री आॅस्कर फर्नांडीज, तत्कालीन माननीय मंत्री, श्रम एवं रोजगार, भारत सरकार द्वारा माननीय मुख्यमन्त्री श्री हरीश रावत जी की उपस्थिति में दिनाँक 8 फरवरी, 2014 को हरिद्वार में शिलान्यास किया जा चुका है लेकिन अस्पताल के निर्माण की दिशा में अभी तक कोई प्रगति नहीं हो पायी है। इस सम्बन्ध में केन्द्रीय कर्मचारी बीमा निगम, नई दिल्ली के स्तर पर कार्यवाही करने की मांग की गयी।
उपरोक्त समस्याओं के निराकरण हेतु डाॅ0 सुधांशु त्रिवेदी ने केन्द्रीय मन्त्री श्री नितिन गडकरी एवं अन्य सम्बन्धित मन्त्रियों से बात करने का आश्वासन दिया तथा सम्बन्धित केन्द्रीय मन्त्रियों के साथ बैठक आयोजित कराये जाने हेतु उनके द्वारा चैम्बर के प्रतिनिधिमण्डल को दिल्ली आमन्त्रित किया गया।
इस अवसर पर केजीसीसीआई अध्यक्ष, श्री अशोक बन्सल के साथ सेेक्रेटरी जनरल श्री आर के गुप्ता, श्री आर के मिड्ढा, श्री राजीव शर्मा, श्री नरेश गुप्ता आदि सदस्य उपस्थित थे।