किसी का एहसान ना लेना कभी बड़े बुजुर्ग कहते है। अगर लेना भी पड़े तो कभी
भूलना भी नहीं चाहिए। लेकिन प्रकर्ति का एहसान कैसे भूल गए सब। जिंदगी जीने
के लिए हवा -पानी -जमीन-पेड़-पौधे और पूरा पर्यावरण हम पर एहसान करता आया
है लेकिन हमें स्वार्थी लोग हमेशा पर्यावरण का विनाश करते जा रहे है।
प्रकर्ति बारबार बाड़-भूकंप आदि से हमें खतरे का इशारा करती रहती है लेकिन
हम फिर भी उसका दोहन नहीं रोकते। और जब प्रक्रति अपना रौद्र रूप दिखाती है
और मानव जाति को नुक्सान होता है तब थोडा बहुत चर्चा कर ली जाती है।
हम सबको इस और ध्यान देना होगा नहीं तो एक दिन कोई प्राणी नहीं बचेगा।
भूलना भी नहीं चाहिए। लेकिन प्रकर्ति का एहसान कैसे भूल गए सब। जिंदगी जीने
के लिए हवा -पानी -जमीन-पेड़-पौधे और पूरा पर्यावरण हम पर एहसान करता आया
है लेकिन हमें स्वार्थी लोग हमेशा पर्यावरण का विनाश करते जा रहे है।
प्रकर्ति बारबार बाड़-भूकंप आदि से हमें खतरे का इशारा करती रहती है लेकिन
हम फिर भी उसका दोहन नहीं रोकते। और जब प्रक्रति अपना रौद्र रूप दिखाती है
और मानव जाति को नुक्सान होता है तब थोडा बहुत चर्चा कर ली जाती है।
हम सबको इस और ध्यान देना होगा नहीं तो एक दिन कोई प्राणी नहीं बचेगा।